वो हकीकत आखिरी मेरी जिंदगी का, कि शुकून की तलाश में हर अपने को बेगाना पाया है कितना अच्छा होता गर मकान एक शुकून वाला मेरा अपना होता। होती एक छत जहाँ, मेरा जहान होता। रूह को सुला देती चैन की निंद, आराम मेरी साँसों को भी जरा सा आ जाता। ©Priyanka Mazumdar #शुकून