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सोचते थे, कितनी असान है, ये जिंदगी। मिटा कर, फिर ल

सोचते थे, कितनी असान है, ये जिंदगी।
मिटा कर, फिर लिख सकते थे जिंदगी।
इलज़ाम लगे खामियों के, तो होश में आये, 
के स्याही के दाग से, बेई-मान लगे जिंदगी।

तुमसे अलग होने के बाद पता चला।
गलती सुधारने का मौका जब न मिला। #yolewrimo में आज #पेंसिल के नाम एक पत्र लिखें। #Pencil
Collaborating with YourQuote Didi #kalamSE
#PencilQuotes #कलमकार #कलम #EnlightenAQUA
सोचते थे, कितनी असान है, ये जिंदगी।
मिटा कर, फिर लिख सकते थे जिंदगी।
इलज़ाम लगे खामियों के, तो होश में आये, 
के स्याही के दाग से, बेई-मान लगे जिंदगी।

तुमसे अलग होने के बाद पता चला।
गलती सुधारने का मौका जब न मिला। #yolewrimo में आज #पेंसिल के नाम एक पत्र लिखें। #Pencil
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