Nojoto: Largest Storytelling Platform

//पिंजरे में कैद पंछी// भूल चुका है वो पंछी अपनी

//पिंजरे में कैद पंछी//

भूल चुका है वो  पंछी अपनी  पहचान, 
जाने कब भरी थी  उसने ऊंँची उड़ान
आज़ाद हवा में उड़ने वाले पक्षियों की, 
ज़िन्दगी भी कहांँ होती इतनी आसान।

कैसे जी रहा है, पिंजरे में  कैद वो पंछी, 
उसे भी चाहत है आसमान में उड़ने की
घुट-घुट जी रहा वो दुखड़ा  किसे सुनाए, 
कौन समझे बात इस मासूम के मन की।

आसमान छूटा पिंजरा मिला, कैद में वो नादान समझ न पाया
विचलित मन खूब फड़फड़ाया, पंखों को लहुलहान कर गया।

छीन लिया गया  आज़ादी का जोश, आखिर क्या उसका दोष
इन लाचार पंछियों की व्यथा देख भी  क्यों ये दुनिया है बेहोश।

टूट चुके पंख लड़ते-लड़ते, थक चुका  मासूम दर्द सहते- सहते
हार चुका है अपनी किस्मत से कैद की ऐसी उड़ान भरते भरते।

पिंजरा बना नसीब,इंसानी फितरत का शिकार है वो बदनसीब
वो आज़ाद पंछी, आज गुलामी  की बेड़ियांँ  देख रहा है करीब।

आजाद हो भी जाएगा, पिंजरा उसके मन से न निकल पाएगा
खौंफ के बादलों से डर कर  वो शायद उड़ना भी भूल जाएगा।

गुलामी झेल चुका इंसान, आज़ादी की कीमत ना समझ सका
मूक प्राणियों को कैद कर आजादी की परिभाषा ही भूल गया।

©Mili Saha
  पिंजरे में कैद पंछी
#nojotopoetry 
#nojotoapp 
#caged 
#Freedom 
#sahamili 
#Poetry 
#कविता
milisaha6931

Mili Saha

Silver Star
Growing Creator

पिंजरे में कैद पंछी #nojotopoetry #nojotoapp #caged #Freedom #sahamili Poetry #कविता #ज़िन्दगी

1,854 Views