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!!मलकिनिया के पापड़!! - भाग-1 आजु बताइथे हमहूं अपन

!!मलकिनिया के पापड़!! - भाग-1
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।।
बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।
कहिन किराना औ तरकारी, लइ आबा तत्काल।
हमहूं आसउं चिप्स बनायब, लइअउब आलू लाल।
कलर त बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।।
एतना कहिके काटि दिहिन, फोनबा उ तत्काल।
का कही फेर आपन हालत, जाने हर माई के लाल।।
फेर हमहूं चलि दिहन बंजारे, फटफटिया लै तत्काल।
सगल बजारे खुब ढूंढन पै, आलू मिली न लाल।।
फेर त हमहूं फोन लगायन, कहन बजारे के हाल।
तब बताइन कि आलू लई लेई, उज्जरि होई या लाल।।
एतने तक त ठीक रहा पै, आगे बढ़ी बवाल।
जब कहिन की बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।।
आगे कहिन बनाउब पापड़, जीरा सौंफ सब डाल।
दाना साबुन वाला लेआउब, नही घर में गली न दाल।।
एतना कहिके काटि दिहिन, फेर फोनबा उ तत्काल।
तब हमहूं सामान लिहन, औ घर पहुंचन तत्काल।।
नाश्ता पानी दिहिन नही, पहिलेन करिन सवाल।
लइ आयन की नही बताई, साबुन आलू औ रंग लाल।।
हमहूं रहन मनइ मन गुस्सा, चेहरा पड़ा रहा सब लाल।
दिहन सामान पटकि मूड़े म, फेर भगन दूर तत्काल।।
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।।
----कुशवाहाजी

©राजेश कुशवाहा !!मलकिनिया के पापड़!!
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।।
बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।
कहिन किराना औ तरकारी, लइ आबा तत्काल।
हमहूं आसउं चिप्स बनायब, लइअउब आलू लाल।
कलर त बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।।
एतना कहिके काटि दिहिन, फोनबा उ तत्काल।
!!मलकिनिया के पापड़!! - भाग-1
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।।
बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।
कहिन किराना औ तरकारी, लइ आबा तत्काल।
हमहूं आसउं चिप्स बनायब, लइअउब आलू लाल।
कलर त बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।।
एतना कहिके काटि दिहिन, फोनबा उ तत्काल।
का कही फेर आपन हालत, जाने हर माई के लाल।।
फेर हमहूं चलि दिहन बंजारे, फटफटिया लै तत्काल।
सगल बजारे खुब ढूंढन पै, आलू मिली न लाल।।
फेर त हमहूं फोन लगायन, कहन बजारे के हाल।
तब बताइन कि आलू लई लेई, उज्जरि होई या लाल।।
एतने तक त ठीक रहा पै, आगे बढ़ी बवाल।
जब कहिन की बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।।
आगे कहिन बनाउब पापड़, जीरा सौंफ सब डाल।
दाना साबुन वाला लेआउब, नही घर में गली न दाल।।
एतना कहिके काटि दिहिन, फेर फोनबा उ तत्काल।
तब हमहूं सामान लिहन, औ घर पहुंचन तत्काल।।
नाश्ता पानी दिहिन नही, पहिलेन करिन सवाल।
लइ आयन की नही बताई, साबुन आलू औ रंग लाल।।
हमहूं रहन मनइ मन गुस्सा, चेहरा पड़ा रहा सब लाल।
दिहन सामान पटकि मूड़े म, फेर भगन दूर तत्काल।।
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।।
----कुशवाहाजी

©राजेश कुशवाहा !!मलकिनिया के पापड़!!
आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।
हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।।
बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।
कहिन किराना औ तरकारी, लइ आबा तत्काल।
हमहूं आसउं चिप्स बनायब, लइअउब आलू लाल।
कलर त बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।।
एतना कहिके काटि दिहिन, फोनबा उ तत्काल।