रूह से रूह का मिलना मुकम्मल इश्क़ का होना है इस जिस्म का क्या है इसे तो ख़ाक ही होना है अब ये तिश्नगी कैसी है किस बात का रोना है जब रूह में बसते हो फिर किससे जुदा होना है किस रंग का होता है क्या अक़्स बताऊँ मैं इस इश्क़ का होना तो खुशबु की तरह होना है पलकों में समाई हैं कुछ यादों की तस्वीरें ना अश्क़ बहाओ ग़र यादों को संजोना है ये इश्क़ अजब शय है आसां भी है मुश्किल भी जज़्बात के धागे में अश्क़ों को पिरोना है हर सिम्त मेरी हस्ती हर ज़र्रा तेरा जलवा ये इश्क़ तो ऐसा है जैसे की खुदा होना है #तिश्नगी@LOVEGRAPHY