बंद करके तुम पिंजरे में उस पंक्षी को, अपनी सोच को प्रदर्शित करते हो, जैसे बंद हो तुम अपने और दूसरों के बीच में, जहां तुमने रोका है खुद को, उड़ने से उस ऊंचे आसमान में, खोल के पिंजरा उड़ाओगे जिस दिन इसे, उस दिन अपनी सोच को आजाद पाओगे, और फिर आसमान में तुम खुद भी उड़ते नजर आओगे, ये बंद पिंजरे दिखाते हैं हमें, कि किसी की उड़ान से तकलीफ कितनी है हमें, क्योंकि हम हौंसला नही कर पाते उड़ने को, जिस दिन खुलेगा ये पिंजरा फिर वो, आसमान भी लगने लगेगा छोटा तुम्हे.. ©Shivendra Gupta 'शिव' #पिंजरा