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आज फिर से बचपन में जाने का मन करता है। दिन में खेल

आज फिर से बचपन में जाने का मन करता है।
दिन में खेलना, रात में लेट तक सोना, सुबह लेट तक उठना,
जी हां इसलिए, आज फिर बचपन में जाने का मन करता है।
बना बनाया खाना, सुबह दोपहर और शाम, जिमने का मन करता है, जी हां, इसलिए आज फिर से बचपन में जाने का मन करता है।
मनचाहे कपड़े पहनना चाहे सर्दी हो या गर्मी, अपने मन के हमेशा राजा रहना, जी हां इसीलिए आज फिर से बचपन में जाने का मन करता है।
हर 365 दिनों के बाद एक नई साल आ जाती है, लेकिन फिर भी मुझे तो आज भी पुरानी साल में लौट जाने का मन करता है। 
जी हा,आज फिर से बचपन में जाने का मन करता है।
 आज फिर से बचपन में जाने का मन करता है।।
इचू शेखावत

©Icharaj kanwar 
  #happy new year my all friends

#Happy new year my all friends #कविता

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