जाने किस ग़लतफ़हमी में मुस्कुरा रहा था वो ख़ास था ही नही जिन्हें मैं बुला रहा था देर से ही सही चलो नींद तो टूटी जाने कब से मैं दुसरो को आईना दिखा रहा था पता चला है! सहर होने से पहले वो ख्वाबो के मरने का मातम मना रहा था अब उससे मिलना ज़रा सम्भल के मिलना सुना है... वो दुश्मनो को यार बता रहा था ।। #दुश्मनो को #यार बता रहा था...