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बुरे वक़्त के भी अच्छे आने वाले कल होते हैं रोने

बुरे वक़्त के भी अच्छे आने वाले कल होते हैं 
रोने से भी कुछ मसले हल होते हैं

एक सुकून के लिए मेहबूब की बाहों का सहरा जरूरी है 
हज़ारों की महफ़िल में हमारे मेहबूब का होना जरूरी है

जी भर के रोने का भी एक फायदा होता है 
अकेले रोने का भी एक कायदा होता है।

जिंदगी के कुछ दर्द सिर्फ रोने से कम होते हैं। 
गलती के एहसास पे रोने वाले केवल हम होते है।

ये दर्द भी बेक़शूर लोगों को ही सताता है। 
कभी कभी अकेले में खुद को ही गुहेगार बताता है

एक लड़का रोने के लिए रात का इंतज़ार करता है
उसका मेहबूब एक दीदार के लिए बेकरार करता है

दर्द की खाशियत है के वो अक्सर आँखों से बहार आता है 
कैसा बेरहम बेहबूब है जो जान जान कर सताता है

एक रोज़ डर ये था के कही छोड़ कर चला ना जाए 
चला गया है तो कोई बात नहीं अब उसकी याद ना सताए

वैसे अब तो हम हर रात अकेले होते है
कभी कभी रोने से भी मसले हल होते है

©Rajat Akela Dil
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