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मन के पाएगाम लिखता हु ! कुछ हो या ना हो मै उस कोर

मन के पाएगाम लिखता हु !
कुछ हो या ना हो 
मै उस कोरे कागज पर अपने लहू की स्याही से
वतन ए हिंदुस्तान लिखता हु !!
मै हिंदुस्तान की उस कड़ माटी को  प्रणाम लखता हु 
और भारत के उन विरो को नौजवान लिखता हु !!
मै उस लेहराते तिरंगे को भारत कि शान लिख्त हु !!
तुम समझ गये होगे मेरी बोली को !
तुम जान गये होगे देश भक्त की उस गोली को  !!
इसी लिए इन शब्दों को अंतिम विराम लिखता हु !!
ओर अंत: भारत माता उसके लाल सपुतो , लहु ए माटी की कोख को
सिर झुकराकर् सलाम लिखता हु !!
और अब भारत माता को अंतिम प्रणाम लिकता हु !!

©Ravi Kushwaha मै लिखता हु !!
मन के पाएगाम लिखता हु !
कुछ हो या ना हो 
मै उस कोरे कागज पर अपने लहू की स्याही से
वतन ए हिंदुस्तान लिखता हु !!
मै हिंदुस्तान की उस कड़ माटी को  प्रणाम लखता हु 
और भारत के उन विरो को नौजवान लिखता हु !!
मै उस लेहराते तिरंगे को भारत कि शान लिख्त हु !!
तुम समझ गये होगे मेरी बोली को !
तुम जान गये होगे देश भक्त की उस गोली को  !!
इसी लिए इन शब्दों को अंतिम विराम लिखता हु !!
ओर अंत: भारत माता उसके लाल सपुतो , लहु ए माटी की कोख को
सिर झुकराकर् सलाम लिखता हु !!
और अब भारत माता को अंतिम प्रणाम लिकता हु !!

©Ravi Kushwaha मै लिखता हु !!

मै लिखता हु !! #कविता