उसके होठों पर जो हँसी। उसकी आँखों में जो ख़ुशी। उसके घर में महफ़िल भी मेरी मुस्कान बस उसी से। बरखा की पहली फुहार, बेजान पत्तों में कुछ जान, ज़मीन पर एक हरी चादर, मेरे मन का सुकून सी। वजह-बेवजह ही हँसना, कुछ बिन करे कुछ करना। बन गई अब मेरी पहचान, मेरे चेहरे की छोटी मुस्कान #cwpowrimo20 #cwpowrimo #cascadewriters #क़िर्तास_ए_ज़ीस्त Cascade Writers