जाने कहाँ गए हैं सब, हैं ख़ाली कुर्सियां अब। रहती थी हमेशा भीड़ जहाँ, है अब पसरा सन्नाटा वहाँ। किसी को नहीं मालूम इस वीराने का सबब, के जिस जगह भीड़ रहती थी बिना मतलब, है क्यों नहीं लोग यहाँ, हैं ख़ाली कुर्सियां अब।