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हाँ मैं कवि हूँ ) मेरा कोई पंथ ना मजहब ना नीति सि

हाँ मैं कवि हूँ )

मेरा कोई पंथ ना मजहब ना नीति सिद्धांत कहीं।
मेरी कुटिल दृष्टि का देखा होगा तुमने अंत नहीं।। 
अपना स्वार्थ सिद्ध कर लुंगा, लोग हँसे तो हँसने दो ।
आसमान को गिर लेने दो या फिर धरा खिसकने दो।। 
मैं स्वछंद हूं, बेलगाम हूं, भाषा और व्याकरण नया।
कवि को कभी करुंगा साबित,देकर के उद्धरण  नया।।
लो मैं खुद ही बतला दूं कि खरा नहीं मैं खोटा हूं।
चाहे जिधर ढुलक जाउंगा "बेपैंदे का लोटा हूं"।।

©SirMb स्वार्थी परंतु स्वाभिमानी 

#WallTexture
हाँ मैं कवि हूँ )

मेरा कोई पंथ ना मजहब ना नीति सिद्धांत कहीं।
मेरी कुटिल दृष्टि का देखा होगा तुमने अंत नहीं।। 
अपना स्वार्थ सिद्ध कर लुंगा, लोग हँसे तो हँसने दो ।
आसमान को गिर लेने दो या फिर धरा खिसकने दो।। 
मैं स्वछंद हूं, बेलगाम हूं, भाषा और व्याकरण नया।
कवि को कभी करुंगा साबित,देकर के उद्धरण  नया।।
लो मैं खुद ही बतला दूं कि खरा नहीं मैं खोटा हूं।
चाहे जिधर ढुलक जाउंगा "बेपैंदे का लोटा हूं"।।

©SirMb स्वार्थी परंतु स्वाभिमानी 

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स्वार्थी परंतु स्वाभिमानी #WallTexture #अनुभव