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महकी महकी सी फज़ा एक बजते सितार का समा और एक जलता

महकी  महकी सी फज़ा
एक बजते सितार का समा 
और एक जलता हुआ दिया 
कोने में रखी वो इबादत गाह 
और  टूटी  छत से दिखता स्याह आसमां 

चाहत ना हो,  आसमां की 
तो दरिया भी सुकून देता है 
बहती लहरें अगर सुनो गौर  से 
किसी शायर की नज़्म सुनाई देती है 

हर एक पल है मोहब्बत का , 
हर पल में जिन्दगी जवान होती है 
चाहत ना हो ऊँचे मकानों की, 
एक झोपडी भी अकीदत देती है l

©Hemant Soni(Musafir) #mehak 
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