आज़माकर ना देख मुझको ए ज़िंदगी कि अब मैं इतना कमज़ोर नहीं हूँ अब थक गया हूँ मैं इम्तिहान देते-देते तेरा आज़माइशें भी दम तोड़ चुकी है सब हो गई है इंतेहा अब तेरी बेरुखी की कोई और उम्मीद बची ही नहीं मुझे पार करके चला जाऊँगा मैं यह सफ़ऱ तदबीर-ए-ज़ीस्त कुछ हासिल नहीं तुझे ♥️ Challenge-529 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।