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तुम तुम्हारे हो ये सच है क्या..? तो फिर इतनी उदासी

तुम तुम्हारे हो ये सच है क्या..?
तो फिर इतनी उदासी, नाराजगी किस से है।
किसी से तो तालुक नहीं तुम्हारा ,तो इतना खोने, पाने का डर किस चीज का है.
 तुम तो तुम्हारे हो ना,हा तुम्हें तो किसी चीज को हासिल करने की चाह नहीं है ना।तो फिर इतने बेताब क्यों हो, 
थोड़ा सबर करो ना, तुम तो तुम्हारे हो ना.!

©mansee Singh Rana
  #तारा 🦋 प्रशांत की डायरी कवि संतोष बड़कुर Sethi Ji Gautam RUPENDRA SAHU "रूप"