यारों के संग नाइट क्लास की मस्ती, अजब थी यारों की बस्ती, रात को शमशाऩ में कबड्डी, पढाई का मन ना था तो जेनरेटर में रेत भी भर दी। कभी बल्ब में इंजेक्शन से पानी भरना, बहुत याद आता है मैड़म की चप्पल दुपका के पिटना।। बहुत याद आता है यारों का जमाना।। #अंकित सारस्वत# #शैतानियाँ