पिता! वक़्त की लहरों पर होना सवार तूने सिखाया ख़्वाब को अपने हिसाब से जीना भी तूने सिखाया शिकवा से भी जुदा एक दुनिया है ये मंज़र भी तूने दिखाया बताया लिहाज़ करना लफ़्ज़ों का जज़्बात को काग़ज़ पर तूने लिखाया # पिता ! इस तिलिस्मी दुनिया में