जी चाहता है जी चाहता है इत्र बन घुल जाऊ, तेरी स्वासो संग दिल में उतर, एक खुशबू का एहसास बन , महकती रहूँ याद बन तेरे साथ , हर एक क्षण में । समा जाऊ तेरी रूह में इस कदर की, अंतिम स्वासो संग भी तेरे साथ हमसफर बन निकलू आखरी उड़ान में। ख्वाहिश है ये मेरी खुद से और खुदा से, जब तक कंठ में प्राण है, तेरे संग बन इत्र खुशबू बन घुल जाऊं, इस जन्म में ही नही तेरे संग, सात जन्मों के बंधन निभाऊँ। कविता जयेश पनोत #जी चाहता है