किस किस को सुनाएँ हम अपनी कहनी यहाँ तो हर शख्स भीतर से टूटा लगता है, गहरे हैं घाव और जख़्मों पे परदा पड़ा है यारा यहाँ तो हर बीमार हक़ीम सा लगता है, महफ़िलो में जाम पे जाम छलक रहे हैं जश्न कम ये तो ग़मो का बाजार सा लगता है, मेरे मन में बड़ी उलझन थी उसको लेकर यारा अब तो हर पल तसल्ली सा लगता है, फेहरिश्त में शामिल हैं उसके अपने लोग साजिशन कत्ल तो बड़ा नाजायज सा लगता है, उसकी खातिर जहोजद्दत से बनाया था मकाँ मगर यारा वो शख़्स तो सौदागर सा लगता है, दीवारें चटकनी कुंडी सब उसकी मर्जी के हैं पसंद बदल जाना बड़ी नाइंसाफी सा लगता है, ©शिशिरCCR❤️✍️ #alonesoul 😌Dil_ke_Alfaz😌💔😔