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हर ख़ुशी तुमसे है,मेरी ज़िन्दगी तुमसे है..! तुम नही

 हर ख़ुशी तुमसे है,मेरी ज़िन्दगी तुमसे है..!
तुम नहीं जो जीवन में,ज़िन्दगी भरपूर ग़म से है..!

ख़्वाहिशों की फेहरिस्त,जैसे कोई भ्रम से है..!
ज़िन्दगी बीत रही दबी दबी सी,अब मजबूरी श्रम से है..!

तेरे होने से ख़ुशनसीब हूँ मैं,ये मेरे अच्छे कर्म से है..!
एहसास से बुनी जज़्बातों की माला,तेरी चाहत में नर्म से है..!

खुशियाँ बनाना चाहें बसेरा,सदा सदा के लिए..!
रहना चाहूँ संग में तेरे,दुःख अब मेरे कम से हैं..!

मैं शिवा ख़ुद को तुझे समर्पित करता हूँ,
ये जानकार ख़ुद में अहँकार का जन्म न होने देना..!

जग में रौशन करनी है दास्ताँ-ए-मोहब्बत अपनी,
तो वज़ूद मैं तुम नहीं हमसे है..!

©SHIVA KANT
  #harkhushitumsehai