चित्रमय परिदर्शी वातायन! और हृदय के बिम्ब कई झाँकते हैं नयन की देहरी से शब्द अनुगत होठ कहते नहीं कुछ कलाई थामकर विश्वास सबकुछ सहेज लेता है अंतर्गत और: तैरते दृश्यों में तुम्हें लिए तैर जाता हूँ दूर तक... #morningwalks