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मैं शायर नहीं अधूरा सा ख़्वाब हूं ज़िंदगी जो अधूरी

मैं शायर नहीं अधूरा सा ख़्वाब हूं
ज़िंदगी जो अधूरी रही वो शाम हूं
ढूंढता हूं जब मैं अपने कदमों निशा को
ठहर जाती है रुह कहीं मैं वही रात हूं ।।

by √ammi

©AmîT
  #sadnessforever
ammimit6013

AmîT

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