क्या लगती हो ऐसे, जैसे कोई रूप की जादूगरनी तुमको पाकर ऐसा लगा है, जैसे सूरज की किरनी होश उड़ाती हो मेरा तुम, बनकर हवा का झोंका हाय ये तेरी कशिश, आजा अब तुझे किसने रोका शर्मीली अदाओं वालीं हो तुम, तेरी ओर मैं खींचा चला मेरी दुनिया में जो तुम आओ, हो जाए कुछ मेरा भला कभी मैं तेरा बन जाऊँ मेरी जान, दे दे मुझे भी मौका हाय ये तेरी कशिश, आजा अब तुझे किसने रोका बंद कर ले अपनी नजरों में, मैं नज़रबंद होना चाहता हूँ कुछ पल के लिए नहीं, ताउम्र तेरा ही होना चाहता हूँ मेरा प्यार विश्वास के पात्र, न दूंगा कभी धोखा हाय ये तेरी कशिश, आजा अब तुझे किसने रोका 🎀 Challenge-216 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।