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यूँ ही हम बातें उम्र-ए-तमाम लिखतें नहीं, कुछ ज़ख़्म

यूँ ही हम बातें उम्र-ए-तमाम लिखतें नहीं,
कुछ ज़ख़्म दिलों के ऐसे हैं, हमसे छिपते नहीं।

हम रोते हैं जब भी, रो रोकर दरिया बहा देतें हैं,
छलक जातें हैं कभी वो जो दर्द सँभलते नहीं।

ये तुर्बत-ए-ख़ाक देखो तुम ग़ौर से, ये मेरी ही है,
सिर्फ़ ख़िजाँ लहराती, बशर कभी रुकते नहीं।

मातम में सना संगीत दहकता रहता है दिल से,
मौत मुस्कुराती है, हम ख़ुश किस्मती रखते नहीं।

परछाईयाँ भी डरा देंगी ऐसी तन्हाईयों में अक्सर,
अपनापन न तलाशना, हम बातों से पिघलते नहीं। ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
यूँ ही हम बातें उम्र-ए-तमाम लिखतें नहीं,
कुछ ज़ख़्म दिलों के ऐसे हैं, हमसे छिपते नहीं।

हम रोते हैं जब भी, रो रोकर दरिया बहा देतें हैं,
छलक जातें हैं कभी वो जो दर्द सँभलते नहीं।

ये तुर्बत-ए-ख़ाक देखो तुम ग़ौर से, ये मेरी ही है,
सिर्फ़ ख़िजाँ लहराती, बशर कभी रुकते नहीं।

मातम में सना संगीत दहकता रहता है दिल से,
मौत मुस्कुराती है, हम ख़ुश किस्मती रखते नहीं।

परछाईयाँ भी डरा देंगी ऐसी तन्हाईयों में अक्सर,
अपनापन न तलाशना, हम बातों से पिघलते नहीं। ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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