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एक बात कहनी थी जब से तुम्हे

एक बात कहनी थी  जब से तुम्हें आदत हो गई ,
मेरे बगैर जीने की ।

अब मुझे भी तलब नहीं,
 होती पीने की ।।

फटी चादर की तरह है,
 बेशक दिल मेरा ।

 कभी जरूरत महसूस नहीं हुइ, 
 इसे सीने की ।।

©Kumar Satyajit
  जरूरत महसूस नहीं है।

जरूरत महसूस नहीं है। #Shayari

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