कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन) रचना क्रमांक - 5 दिनाँक - 16.01.2022 विषय :- अपनी बर्बादियों का मैं हल चाहता हूँ। अपनों की दुआएँ मैं आजकल चाहता हूँ। ख़ाकसारी से होना मैं सफ़ल चाहता हूँ। बहुत झेल लिया मुफ़लिसी का ये दंश। अपनी बर्बादियों का मैं हल चाहता हूँ। तन्हा गुज़ारी है यहाँ सारी उम्र ही मैंने। ज़िंदगी के हसीं मैं कुछ पल चाहता हूँ। जो लोग मेरी मुफ़लिसी से हैं कतराते। उन लोगों से दूरी मैं आजकल चाहता हूँ। ज़माने के झमेले नहीं चाहिए मुझको। दिल को सुकूँ मैं दर-असल चाहता हूँ। ऐ मेरे दोस्त, मेरे हमदर्द मेरे साथ चल। दुआएँ अब तेरी मैं मुसलसल चाहता हूँ। कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन) रचना क्रमांक - 5 दिनाँक - 16.01.2022 विषय :- अपनी बर्बादियों का मैं हल चाहता हूँ। अपनों की दुआएँ मैं आजकल चाहता हूँ। ख़ाकसारी से होना मैं सफ़ल चाहता हूँ। बहुत झेल लिया मुफ़लिसी का ये दंश।