तस्वीर तेरी हर रोज़ बनी, लोगों ने कलम उठाई थी, और तूने मर्ज़ी जताई थी। क्यों बिदक रहा फिर कोने में, जो झलक नहीं तेरी आई है। हर रोज़ तरसता कमरे मे, जो है ही नहीं, वो समझ रहे, जो बात न थी, वो फैल गयी, जो फैल गयी, तो नाम हुआ ये नाम कभी बदनाम हुआ। पर बात यहाँ बेबात हुई l हक़ औरों को तुने दान किया, तेरा अंकन कर तुझे तोल दिया । ©Trisha09 #addiction #haq #hindi_poetry #hindipoetry #Society #Log #samaaj #baatein #Struggle