“नौबहार” ग़ज़ल तेरे मोहब्बत में सरोबार हो गई ये अपनी ज़िन्दगी। उजाले से दोस्ती होकर दूर हो गई मुझसे हर तीरगी। मोहब्बत का नौबहार बन कर आई जो तुम बन गई मेरी तुम बंदगी। तेरी मोहब्बत ने खत्म कर दी मेरी हर आवारगी। दिल में जो ख़ामोशी की तड़प थी दूर हो गई हर तिश्नगी। गुलशन में नौबहार जिससे बना रहे हर तरफ़ ताज़िंदगी। खुदा की नेमत अब तक हूंँ मैं ज़िंदा छा गई दिल पर तेरी परवानगी। पेश जो किया अपनी ये कहानी दुनिया ने देखी ख़ूबसूरत बानगी। ख़ुद और खुदा से अब ना रहा कोई शिकायत मिल गई मुझे भी पायंदगी। कायनात तक रहे हमारे इश्क़ की ये मोहब्बत–ए–पाकीज़गी। #collabwithक़लम_ए_हयात #नौबहार #क़लम_ए_हयात #जन्मदिन_qeh22 #unique_upama #yqdidi #ग़ज़ल