White ज़िन्दगी की दौड़ में, तजुरबा कच्चा ही रह गया...। हम सीख न पाये 'फ़रेब' और दील बच्चा ही रह गया...। बचपन में जहाँ चाहा हंस लेते थे, जहाँ चाहा रो लेते थे...। पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आँसुओं को तन्हाई...। हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों मैं ... चलो मुस्कुराने की वजह ढुढते है तुम हमें ढूँढो,, हम तुम्हें ढूंढते है ...। ©parineeti Dheer #GoodMorning sad poetry love poetry for her poetry quotes hindi poetry on life