तरसती है ये आंखें तेरे दीदार के लिए, तर्पती है ये धरकन तेरे ऐतबार के लिए, तूं दुर होता है तो दिल बेचैन सा हो जाता है, तूं पास आता है तो सांसें थम सी जाती हैं, ये कैसी मोहब्बत है जो कभी टुटकर बरसती है तो कभी सावन में भी बादलों के लिए तरसती है। ©Dikshita Singh #Love #Romantic #Shaayari #sawan #barish #mohabbat #aankhe #Couple #droplets