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कैसे सावन आये तुम बिन गहने, छितिज धरा सब धुल उरा

कैसे सावन आये तुम बिन गहने,
 
छितिज धरा सब धुल उराये,
 
नभ के बदल बन गये पराये,

उमड़ घुमड़ तुम आते ऐसे|
 
कसक मन की भी जाती जैसे,
 
जग चर की तुम तृष्णा मिटाते,
 
सूखे नयनों में आके नीर गिराते,
 
पर आये सावन बिन तुम गहने|
 
कोई जैसे चुप चुप से लगे रहने ..
 
बेकल मन, सुने सपने …
 
बरसों सावन अब मेरे अँगने...✍️ बरसो सावन ,अब मेरे अँगने..✍️ Aahna Verma Mamta Kumari Sapna Shahi Mithilesh Kumar Shah~writes
कैसे सावन आये तुम बिन गहने,
 
छितिज धरा सब धुल उराये,
 
नभ के बदल बन गये पराये,

उमड़ घुमड़ तुम आते ऐसे|
 
कसक मन की भी जाती जैसे,
 
जग चर की तुम तृष्णा मिटाते,
 
सूखे नयनों में आके नीर गिराते,
 
पर आये सावन बिन तुम गहने|
 
कोई जैसे चुप चुप से लगे रहने ..
 
बेकल मन, सुने सपने …
 
बरसों सावन अब मेरे अँगने...✍️ बरसो सावन ,अब मेरे अँगने..✍️ Aahna Verma Mamta Kumari Sapna Shahi Mithilesh Kumar Shah~writes
shanutiwari2245

Shanu Tiwari

New Creator

बरसो सावन ,अब मेरे अँगने..✍️ @Aahna Verma @Mamta Kumari @Sapna Shahi @Mithilesh Kumar Shah~writes