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Meri Mati Mera Desh ज़माने की जलालत, तेरे इश्क़ में

Meri Mati Mera Desh  ज़माने की जलालत,
तेरे इश्क़ में सह गए..!

मोहब्बत की नदिया में,
एहसासों सा बह गए..!

अनछुए पहलुओं में,
हम तेरे होकर रह गए..!

सवेरे की चकाचौंध में,
ग़मों के गलियारे ढह गए..!

हमें तुमसे प्यार कितना,
शायरियों में कितनी दफ़ा कह गए..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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