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अदृश्य आत्मा। #yqbaba #yqdidi #yqquotes #aestheti

अदृश्य आत्मा।
 #yqbaba #yqdidi #yqquotes #aestheticthoughts  #paidstory अदृश्य आत्मा

क्या होगा जब ईश्वर की कृपा से कुछ दिन के लिए मैं अदृश्य हो जाऊँ!
जी हाँ मैंने केवल अदृश्य कहा है,मृत होकर पुनः जीवीत नहीं। रहूँ मैं इस संसार में ही,पर मेरा देह विलुप्त हो जाए। अदृश्य होकर परखना चाहती हूँ मैं,अपने आत्मीय जन के प्रेम को। सैर कर आती पूरी दुनिया की विमान से वह भी निःशुल्क,क्योंकी यात्रा करना और हर क्षेत्र की भौगोलिक प्रकृति को देखना मुझे अत्यंत  प्रिय है। यात्रा के दौरान भेंट करती भिन्न-भिन्न लोगों से और जहाँ तक हो सके उनके जीवन में चल रही समस्याओं के निवारण में उनकी सहायता करती। अंधेरों में बे ड़र घूमती पूरी दुनिया क्योंकी बचपन से ही मैं चाहती थी रात को अकेली पूरा शहर देखूँ और उसकी जगमगाहट को निहारूँ। अदृश्य होकर सबसे महत्वपूर्ण कार्य,औरतों पर हो रहे अत्याचार को रोकती। चाहे वो घरेलू अत्याचार हो या शारीरिक अत्याचार,भरसक प्रयत्न करती उन पर रोकथाम लगाने की। समाज में चल रही औरतों और बच्चों की काला बाजा़री को उजागर करती। भूखे-गरीबों को कुछ दिन के लिए ही सहीं पर अमीरों के यहाँ से खाना लाकर बाँट देती। अदृश्य होकर जंगल भी चली जाती और शेर,सिंह से मिल उन पर बैठ जंगल की सैर कर आती। थोडी़ मस्ती और शरारत कर लेती पक्षियों और प्राणी के संग जो साक्षात  मनुष्य देह में ना कर सकती। फिल्में देख लेती बिना टिकट के और कलाकारों से भी मिल आती।।
अपने पडो़सी मुल्क में घुसपैठ करती,और देश के खिलाफ चल रहे षड़यंत्र की कागज़पत्री लाकर अपने देश में देती। अंतरिक्ष यान में बैठ जाती और अंतरिक्ष का सफर भी कर आती,देख आती ब्रम्हाण्ड़ के ग्रहों को ।आसमान की निराली दुनिया को।।
मुझे हँसी ठिठोली करना पसंद है,अपने इस अनोखे उपहार का प्रयोग कर स्वयं का और दूसरों का मनोरंजन भी करती। लुप्त होकर बच्चों के साथ शामिल होती और खुद भी दोबारा बचपन का आनंद लेती।
मेरा तो मानना है,पृथ्वी पर जीवन का जो असली आनंद लिया जाता है वो सिर्फ बचपन में ही ले सकते है,और दूसरी अवस्थाएँ तो तनाव,ईर्ष्या और उदासी में ही व्यतीत होते हैं।।
अदृश्य आत्मा।
 #yqbaba #yqdidi #yqquotes #aestheticthoughts  #paidstory अदृश्य आत्मा

क्या होगा जब ईश्वर की कृपा से कुछ दिन के लिए मैं अदृश्य हो जाऊँ!
जी हाँ मैंने केवल अदृश्य कहा है,मृत होकर पुनः जीवीत नहीं। रहूँ मैं इस संसार में ही,पर मेरा देह विलुप्त हो जाए। अदृश्य होकर परखना चाहती हूँ मैं,अपने आत्मीय जन के प्रेम को। सैर कर आती पूरी दुनिया की विमान से वह भी निःशुल्क,क्योंकी यात्रा करना और हर क्षेत्र की भौगोलिक प्रकृति को देखना मुझे अत्यंत  प्रिय है। यात्रा के दौरान भेंट करती भिन्न-भिन्न लोगों से और जहाँ तक हो सके उनके जीवन में चल रही समस्याओं के निवारण में उनकी सहायता करती। अंधेरों में बे ड़र घूमती पूरी दुनिया क्योंकी बचपन से ही मैं चाहती थी रात को अकेली पूरा शहर देखूँ और उसकी जगमगाहट को निहारूँ। अदृश्य होकर सबसे महत्वपूर्ण कार्य,औरतों पर हो रहे अत्याचार को रोकती। चाहे वो घरेलू अत्याचार हो या शारीरिक अत्याचार,भरसक प्रयत्न करती उन पर रोकथाम लगाने की। समाज में चल रही औरतों और बच्चों की काला बाजा़री को उजागर करती। भूखे-गरीबों को कुछ दिन के लिए ही सहीं पर अमीरों के यहाँ से खाना लाकर बाँट देती। अदृश्य होकर जंगल भी चली जाती और शेर,सिंह से मिल उन पर बैठ जंगल की सैर कर आती। थोडी़ मस्ती और शरारत कर लेती पक्षियों और प्राणी के संग जो साक्षात  मनुष्य देह में ना कर सकती। फिल्में देख लेती बिना टिकट के और कलाकारों से भी मिल आती।।
अपने पडो़सी मुल्क में घुसपैठ करती,और देश के खिलाफ चल रहे षड़यंत्र की कागज़पत्री लाकर अपने देश में देती। अंतरिक्ष यान में बैठ जाती और अंतरिक्ष का सफर भी कर आती,देख आती ब्रम्हाण्ड़ के ग्रहों को ।आसमान की निराली दुनिया को।।
मुझे हँसी ठिठोली करना पसंद है,अपने इस अनोखे उपहार का प्रयोग कर स्वयं का और दूसरों का मनोरंजन भी करती। लुप्त होकर बच्चों के साथ शामिल होती और खुद भी दोबारा बचपन का आनंद लेती।
मेरा तो मानना है,पृथ्वी पर जीवन का जो असली आनंद लिया जाता है वो सिर्फ बचपन में ही ले सकते है,और दूसरी अवस्थाएँ तो तनाव,ईर्ष्या और उदासी में ही व्यतीत होते हैं।।
ashagiri4131

Asha Giri

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