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मैं खुद को लिखने के लिए जब भी कलम उठाया,हर बार तेर

मैं खुद को लिखने के लिए जब भी
कलम उठाया,हर बार तेरा चेहरा सामने आया।
तेरे गुलबों की पंखुड़ी सी लब,हर बार कुछ कहते नजर आया।
तेरे इश्क़ की अथाह गहराई में मैंने खुद को हमेसा डूबता पाया।
बात ओ आधी रात की,रात ओ पुरे चाँद की
चाँद को शरमाते पाया,जब तुम्हें घूँघट उठाते पाया।
चाँद क्यों न शर्माए उस पर दाग जो है
और हर बार तुझे चाँद को चुनौती देते पाया,क्योंकि तू  खुद को बेदाग़ जो पाया।।

 #NojotoQuote chand ko chunauti....
मैं खुद को लिखने के लिए जब भी
कलम उठाया,हर बार तेरा चेहरा सामने आया।
तेरे गुलबों की पंखुड़ी सी लब,हर बार कुछ कहते नजर आया।
तेरे इश्क़ की अथाह गहराई में मैंने खुद को हमेसा डूबता पाया।
बात ओ आधी रात की,रात ओ पुरे चाँद की
चाँद को शरमाते पाया,जब तुम्हें घूँघट उठाते पाया।
चाँद क्यों न शर्माए उस पर दाग जो है
और हर बार तुझे चाँद को चुनौती देते पाया,क्योंकि तू  खुद को बेदाग़ जो पाया।।

 #NojotoQuote chand ko chunauti....