सिक्कों की भीड़ में खरे नोट के जैसे, कुछ ही हैं जो रिश्तों की कीमत अदा कर पाते हैं। लहरें गुज़र जाती हैं कुछ पल साथ रहकर, किनारे ही होते हैं जो उम्र साथ बिताते हैं.... सिक्कों की भीड़ में खरे नोट के जैसे, कुछ ही हैं जो रिश्तों की कीमत अदा कर पाते हैं। लहरें गुज़र जाती हैं कुछ पल साथ रहकर, किनारे ही होते हैं जो उम्र साथ बिताते हैं.... #1005