चिंता से चतुराई घटे ,घटे रूप और ज्ञान चिंता बड़ी अभागिनी,चिंता चिता समान तुलसी भरोसे राम के,निर्भय हो के सोऐ अनहोनी होनी नहीं,होनी होए सो होऐ इसी विचार के साथ सबको प्रणाम व्यस्त रहो ,मस्त रहो,स्वस्थ रहो