नही है मुझे इश्क मे नाम कमाना नही है मुझे महलो मे खुद को दफनाना हो गया इश्क तो, है एक इतिहास बनाना खुद को गुरूर मे जो समझे,है उसे कदमो मे लाना है एक इतिहास बनाना,है एक इतिहास बनाना शाहजहाँ आशिक नही बस एक गुलाम था जिसे उसने इतने शिद्दत से सजाया,वह एक कब्रिस्तान था आशिक तो माझीं था जो पगला बेमिशाल था चीर दिया सीना पहाड का,जिसपे उसका प्यार कुर्बान था आशिक हैं हम भी,मगर अपने वतन के करते हैं उससे मोहब्बत सलाम-ऐ-नमन से देख दे आँख उठा के कोई जरा भी मेरे महबूब को फोड देतें हैं हम उनकी आँखें अपनी कमन से माझीं हूँ मै, है अब दुश्मनो की छाती मे चीरा लगाना है लहरते हुए तिरंगे को अपना कफन बनाना है बना नही जो इतिहास,है वही अब बनाना नही है मुझे इश्क मे नाम कमाना नही है मुझे महलो मे खुद को दफनाना हो गया इश्क तो, है एक इतिहास बनाना खुद को गुरूर मे जो समझे,है उसे कदमो मे लाना है एक इतिहास बनाना,है एक इतिहास बनाना आशिक