मैं तक रहा तेरी नज़र और हो गया मुझपे करम, मुझे दौलतें नहीं चाहिए मेरे ख़ुदा तेरा इश्क़ दे। ये जहां मेरे किस काम का जो मुझे किसी की आस हो, तेरे इश्क़ में मिले जिल्लते तेरे नाम से ही इज्जतें। हिसाम ©✍️Hisamuddeen Khan 'hisam' Hisam Khan writer all rights reserved 9680050042