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Natural Morning कागजों में बदलाव तो होता ही रहता ह

Natural Morning कागजों में बदलाव तो होता ही रहता है 
बदलाव जो ज़मीन पर हो तो असल में यही बदलाव कहलाता है।

जो इंसाफ की बात करें रोशन-ए-ज़मीर कहलाता है
मुद्दा दिल में उठता है और जुबान पे आता है।

हिम्मत सिंह writing #thinking # Punjabi poetry# ##Hindi poetry## Urdu poetry##
कागजों में बदलाव तो होता ही रहता है 
बदलाव जो ज़मीन पर हो तो असल में यही बदलाव कहलाता है।

जो इंसाफ की बात करें रोशन-ए-ज़मीर कहलाता है
मुद्दा दिल में उठता है और जुबान पे आता है।
                                         हिम्मत सिंह
Natural Morning कागजों में बदलाव तो होता ही रहता है 
बदलाव जो ज़मीन पर हो तो असल में यही बदलाव कहलाता है।

जो इंसाफ की बात करें रोशन-ए-ज़मीर कहलाता है
मुद्दा दिल में उठता है और जुबान पे आता है।

हिम्मत सिंह writing #thinking # Punjabi poetry# ##Hindi poetry## Urdu poetry##
कागजों में बदलाव तो होता ही रहता है 
बदलाव जो ज़मीन पर हो तो असल में यही बदलाव कहलाता है।

जो इंसाफ की बात करें रोशन-ए-ज़मीर कहलाता है
मुद्दा दिल में उठता है और जुबान पे आता है।
                                         हिम्मत सिंह
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Himmat Singh

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