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प्यार ने सहेज कर रखा मुझे.. हर शख़्स रहम दिल मिला

प्यार ने सहेज कर रखा मुझे..
हर शख़्स रहम दिल मिला मुझे..

मैं अपनी मंजिल से कैसे ओझल होता,
खुदा खुद दिखाता है नक़्श-ए-पा मुझे..

दोस्ती तो दोस्ती, दुश्मनी तो दुश्मनी,
बीच का खेल बिल्कुल भी नहीं आता मुझे..

तू तन्हाइयों की फौज क्यों ना ले आ चाहे,
मुझ ही से अलग करना अब नहीं आसां, मुझे..!! नक़्श-ए-पा; पैरों के निशान
प्यार ने सहेज कर रखा मुझे..
हर शख़्स रहम दिल मिला मुझे..

मैं अपनी मंजिल से कैसे ओझल होता,
खुदा खुद दिखाता है नक़्श-ए-पा मुझे..

दोस्ती तो दोस्ती, दुश्मनी तो दुश्मनी,
बीच का खेल बिल्कुल भी नहीं आता मुझे..

तू तन्हाइयों की फौज क्यों ना ले आ चाहे,
मुझ ही से अलग करना अब नहीं आसां, मुझे..!! नक़्श-ए-पा; पैरों के निशान