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हाँ मैं बीमा बेचता हूँ। ============= मौत खरीदते

हाँ मैं बीमा बेचता हूँ। 
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मौत खरीदते हैं लोग जा जाकर मयखाने में,
मैं तो साहब सुखी जीवन बेचता हूँ। 

गुटखा,तम्बाकू और न जाने किस किस रूप में लोग बीमारियाँ खरीदते हैं,
मैं तो साहब बेहतर ईलाज बेचता हूँ। 
 
जन्म से मरण तक लोग बुनते हैं सपने,
मैं उन सपनों को पूरा करने की कागजात बेचता हूँ। 
 
गमों की आंधी ने उजाड़ा है जिस घर को, मै उस घर में मुस्कान बेचता हूँ। 
 
उजड गई जिसकी दुनिया,बिखर गया जिनका जीवन,  मैं उन्हें सारा जहान बेचता हूँ। 

जरा सी बात पर लोग तोड़ लेते हैं रिश्ते,मैं उन टुटे रिश्तों की सिलाई बेचता हूँ। 

मुन्ना की पढाई और मुनिया के शादी की शहनाई बेचता हूँ, दादी और दद्दू के बुढापे की दवाई बेचता हूँ। 

मैं तो साहब आपकी जरूरत बेचता हूँ, आपके खुशियों के खातिर कुछ पल खूबसूरत बेचता हूँ। 

मै सड़क पर दौड़ता हूँ साहब, जानते हैं क्यूँ? क्योंकि मैं नहीं चाहता की कल आपके अपनो को सड़क पे आना पडे। 

मैं परिवार को खुश रखने का जिम्मा बेचता हूँ हाँ मैं बीमा बेचता हूँ। 

मैं सोचता था इतनी खूबियों के बाद भी मुझसे क्यूँ भागते हैं लोग, अब समझ में आया लोग मुझसे नहीं अपनी जिम्मेवारियों से भागते हैं। 

एक सजग सफल और जिमेवार वयक्ति बने।

क्योंकि आप भूल सकते हैं मैं अपनी जिम्मेवारियों को कभी भूल नहीं सकता। ।
                                                         
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Mohammad Irshad kazi
M.no. 9782067955

©Amjad Hussain
  हाँ मैं बीमा बेचता हूँ। 
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मौत खरीदते हैं लोग जा जाकर मयखाने में,
मैं तो साहब सुखी जीवन बेचता हूँ। 

गुटखा,तम्बाकू और न जाने किस किस रूप में लोग बीमारियाँ खरीदते हैं,
मैं तो साहब बेहतर ईलाज बेचता हूँ।

हाँ मैं बीमा बेचता हूँ। ============= मौत खरीदते हैं लोग जा जाकर मयखाने में, मैं तो साहब सुखी जीवन बेचता हूँ। गुटखा,तम्बाकू और न जाने किस किस रूप में लोग बीमारियाँ खरीदते हैं, मैं तो साहब बेहतर ईलाज बेचता हूँ। #Shayari

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