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श्री श्री गुप्त सप्तशती विभिन्न पुरातन ग्रन्थों के

श्री श्री
गुप्त सप्तशती
विभिन्न पुरातन ग्रन्थों के अध्ययन और माता जी की
कृपा से यह श्री श्री गुप्त सप्तशती सिद्ध पाठ गुरु आज्ञा से
भक्तों हेतु प्रस्तुत किया गया है। इसका दैनिक पाठ आपके
जीवन की सभी समस्याओं, दुःखों और परेशानियों को दूर
करके आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लेकर आयेगा।
नवरात्रि में इसका पाठ विशेष फलदाई है। अतः प्रतिवर्ष
नवरात्रों में इसका पाठ अवश्य करें।
श्री दुर्गा सप्तशती, के सात सौ मन्त्रों का सम्पूर्ण पाठ करने
से साधकों का जैसा कल्याण होता है; वैसा ही कल्याणकारी
फल इस गुप्त-सप्तशती का भी है।
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यह 'गुप्त - सप्तशती' मन्त्र - बीजों की प्रचुरता से सुसज्जित
होने के कारण आत्म-कल्याण चाहने वाले साधकों के लिए
अमोघ फल-प्रदान करती है ।
नवरात्रि के नौ दिनों तक श्रद्धापूर्वक माँ भगवती के
सम्मुख गाय के घी का दीपक प्रज्जवलित करके मानसिक
संकल्प करते हुये माँ को खीर का भोग लगाकर विधिपूर्वक
इसका पाठ करने से माँ दुर्गा की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
यह श्री श्री गुप्त सप्तशती शापित या कीलित नहीं है, इसका
श्रद्धापूर्ण पाठ चमत्कारी फल प्रदान करने वाला है।
इसके पाठ का क्रम पाँच भागों में है। जो इस प्रकार

©KhaultiSyahi
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