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मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ। कुछ दोस्त तो पी

मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कुछ दोस्त तो पीछे छूट गए कुछ दोस्त जो मुझसे रूठ गए,
मैं सबको मनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

एक नवोदय अपना प्यारा था, जिसमे बचपन हमने गुजारा था,
उस नवोदय की हर बात बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कुछ यार जो सबसे प्यारे थे कुछ यार जो सबसे न्यारे थे,
उन  यारों के सब राज बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

एक क्लास में जब वो आती थी, धक से दिल को धड़काती थी,
उस धड़कन की आवाज सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो सुबह से लेकर शाम तक वो शाम से लेकर रात तक कब सोना था कब पढ़ना था,
मैं वो हर बात बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो सुबह को उठ कर पीटी करना वो सोते सोते गिरना पड़ना फिर उसको देख कर सीधा चलना, 
मैं वो हर किस्सा सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो नहा धोकर मैस में जाना, इक थाली में चार का खाना, 
मैं वो प्यार जताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो प्राथर्ना करके क्लास में जाना वो मेरा आना उसका जाना, उन चंद पलो में आँख मिलाना,
उन आँखों का प्यार दिखाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो क्लास में जाकर सबसे पीछे बैठना हर बात पे उसको ताकना उसको देखना, 
उस ताका-झांकी के किस्से सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कहने को तो सारा किस्सा है कुछ तेरा है कुछ मेरा हिस्सा है, 
उन किस्सों को मैं फिर से जीने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

आलोक दुबे"आलोक" बचपन की यादें....
मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कुछ दोस्त तो पीछे छूट गए कुछ दोस्त जो मुझसे रूठ गए,
मैं सबको मनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

एक नवोदय अपना प्यारा था, जिसमे बचपन हमने गुजारा था,
उस नवोदय की हर बात बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कुछ यार जो सबसे प्यारे थे कुछ यार जो सबसे न्यारे थे,
उन  यारों के सब राज बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

एक क्लास में जब वो आती थी, धक से दिल को धड़काती थी,
उस धड़कन की आवाज सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो सुबह से लेकर शाम तक वो शाम से लेकर रात तक कब सोना था कब पढ़ना था,
मैं वो हर बात बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो सुबह को उठ कर पीटी करना वो सोते सोते गिरना पड़ना फिर उसको देख कर सीधा चलना, 
मैं वो हर किस्सा सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो नहा धोकर मैस में जाना, इक थाली में चार का खाना, 
मैं वो प्यार जताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो प्राथर्ना करके क्लास में जाना वो मेरा आना उसका जाना, उन चंद पलो में आँख मिलाना,
उन आँखों का प्यार दिखाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो क्लास में जाकर सबसे पीछे बैठना हर बात पे उसको ताकना उसको देखना, 
उस ताका-झांकी के किस्से सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कहने को तो सारा किस्सा है कुछ तेरा है कुछ मेरा हिस्सा है, 
उन किस्सों को मैं फिर से जीने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

आलोक दुबे"आलोक" बचपन की यादें....

बचपन की यादें.... #कविता