न जाने कितनों की चाहत न चाह कर भी दबी होगी,, वो बे मन से शादी की बंधन में जब किसी के दबाब में बंधी होगी।। राहुल छतरपुरिया सुन साथिया मुझे बुखार है तूँ देख ले तो फिर सुधार है.. तेरे झुमके पर इकरार है मैं करूँ उजाला तो रोशन होने को तैयार है।। मुसाफिर