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तुम उस तरफ गए, मैं इस किनारे वज़ीर बन गया वक़्त रहत

तुम उस तरफ गए, मैं इस किनारे वज़ीर बन गया
वक़्त रहते यह रिश्ता हमारे दरमियान, कश्मीर बन गया

मैं फ़ेरा करता था जिसे चेहरे पर, पंख समझ कर कभी
यूँ देखते देखते अगले ही पल वो तीर बन गया

सूख गया, जो गुलाब तोड़ लाया था पड़ोस के बाग से
हत्या को खुदकुशी साबित करके मैं शातिर बन गया

कुछ खोया नहीं मगर लग रहा कुछ छूट गया पीछे
दोस्ती तो सिर्फ दीवार पर टंगा एक तस्वीर बन गया

रास्ते अलग हो गए मगर मिलेंगे इंशाल्लाह एक दिन
यह कासिम तो भाई मुलाक़ातों का फकीर बन गया Phir milenge... 👻

#ghazal #yqdidi #poetry #cwobserveh
तुम उस तरफ गए, मैं इस किनारे वज़ीर बन गया
वक़्त रहते यह रिश्ता हमारे दरमियान, कश्मीर बन गया

मैं फ़ेरा करता था जिसे चेहरे पर, पंख समझ कर कभी
यूँ देखते देखते अगले ही पल वो तीर बन गया

सूख गया, जो गुलाब तोड़ लाया था पड़ोस के बाग से
हत्या को खुदकुशी साबित करके मैं शातिर बन गया

कुछ खोया नहीं मगर लग रहा कुछ छूट गया पीछे
दोस्ती तो सिर्फ दीवार पर टंगा एक तस्वीर बन गया

रास्ते अलग हो गए मगर मिलेंगे इंशाल्लाह एक दिन
यह कासिम तो भाई मुलाक़ातों का फकीर बन गया Phir milenge... 👻

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