●●●■■■■■■■■■■■■■■●●● "कभी कभी मेरे दिल में यें ख्याल आता है... "आप को याद होंगे ना यह प्यारे से बोल... अक्सर मुझे भी कुछ ख्याल आता है... जी हां ख्याल आता है शशांक को याद करते हुए .... { Read in Caption} Dr.Vishal Singh #yostowrimo#वापसीकहानी #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #motivation #stories ■■"कभी कभी मेरे दिल में यें ख्याल आता है... "आप को याद होंगे ना यह प्यारे से बोल... अक्सर मुझे भी कुछ ख्याल आता है... जी हां ख्याल आता है शशांक को याद करते हुए .... इस कहानी का मुख्य पात्र... शुरू से पढ़ ने में मेघावी... विद्यालय में हर कक्षा की जान.... जिस भी कक्षा में कोर्ई कार्यक्रम तो बुलाओ शशांक को कभी शायरी तो कभी गजल तो कभी गाने .... अगर मुस्करा दे तो साथ में लोग भी मुस्करा दे.... हरफनमौला .... समय के साथ साथ सब बदला और शशांक को एक शौक लग गया... बस अब एक सपना था उसका... बस अब तो प्रशासनिक अधिकारी बनना है... दिन रात बस लाल बत्ती बाली गाड़ी की बात और हो भी क्यों ना बस यहीं तो एक रास्ता समझ आया था देश सेवा का... और शंशाक की इस यात्रा में संगीत, काव्य , कहानी सब शौक जो उसका जीवन है बहुत पीछे छूट गये... और इस सपने की खोज में शशांक ने मुड़ कर नहीं देखा... पर भाग्य... सुना तो होगा आपने इस के बारे में... भाग्य को शायद शशांक का यह हसीन ख्वाब मंजूर नहीं था.... उसका यह ख्वाब पूरा ना हुआ अब आप यह कहोगे कि शंशाक ने इमानदारी नहीं रखी होगी... मैंने शुरू में कहा था ना कभी कभी मेरे दिल में यह ख्याल आता है... यहीं सोचकर तो आता है कभी कभी अथाह मेहनत और इमानदारी के बाद भी भाग्य अपना खेल दिखा जाता है ... शशांक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ जिस हसीं ख्वाब के लिये उसने अपने शौक भुला दिये वह आज फिर से उसका जीवन बन चुके हैं ... फिर से एक ख्याल आया है फिर देश सेवा का क्या हुआ...? कहते है ना मां सरस्वती की तपस्या व्यर्थ नहीं जाती आज शंशाक की वह तपस्या वरदान पा चुकी है.. उसकी लेखनी सिद्ध हो चुकी है अपनी लेखनी के माध्यम से वह देश सेवा में लीन है आज फिर से गजल, नज्म और विभिन्न परिचर्चाए उसकी लेखनी से जन्म लेती है... संगीत की साधना शंशाक करता है... अद्भुत " वापसी " है उसकी.... ना कोई दवाब , ना अपराधीकरण, ना भ्रष्टाचार, ना ओछी राजनीति... है तो बस अद्भुत शांति... एक आत्मीय सुख....... यही तो चाहता है बस इन्सान .....