हर रोज खुद को थोड़ा-थोङा ढूढने की कोशिश कर रहे हैं, कि कही तो मिलेगें हम खुद से, कहीं रसोई की खट-पट में,तो कहीं किताबों के दुनिया में, कहीं मनचली शरारत में,तो कहीं झरोखे पे बैठ ख्वाब बुनते हुए, कहीं बचकानी जिद्द में,तो कहीं खुद पर लोगों के भरोसे में, हर रोज खुद को थोड़ा-थोङा ढूढने की कोशिश कर रहे हैं एक अनजानी सी खोज।