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इश्क बेहद था तुमसे पर साबित नही करना चाहती।

इश्क बेहद था तुमसे
पर साबित नही करना चाहती।

                        दूर जाना है न तुम्हे तो ठीक है
                         मै फिर से पास आना नहीं चाहती।

बोझ बनकर रहूं वो जबरन
तुम्हारा अब नाम नही चाहती ।

                             सवाल बहुत है तुमसे पर
                             अब उनके जवाब नही चाहती।

मेरा अक्श भी ना दिखे तुम्हे
कभी वो महफिल नहीं चाहती। 

                             खुद से वास्ता हो गया बहुत मेरा
                            अब मैं खुद को भूलना नहीं चाहती

   किसी को परेशान न करू ,‘वर्षा ’
   अब वो अहमियत नहीं चाहती।

©mysterious .vs.
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