डर लगता है मुझे की,कहीं मै असंवेदनशील ना होजाऊ हवानियत का मंजर हर रोज देखकर डर लगता है मुझे की,कहीं मै उपेक्षित ना कर दु इन दर्द भरे दस्तानों को दिन रात पढ़कर डर लगता है मुझे की,कहीं मै आदी ना होजाऊ इस बर्बरता को सामाजिक कानून समझकर डर लगता है मुझे की,कहीं मै अपना लु इस घिनौनेपन को अपनी तकदीर मानकर हां आजकल डर लगता है मुझे की कही मै भी अपनी बेटी को चुप न कर दु उसके मुंह से रेप का नाम मात्र सुनकर। voice of women who is scared , not of being raped , but of getting used to it.